कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस की गठबंधन सरकार को बेदखल करने के लिए बीजेपी इस बार कोई जल्दबाजी नहीं दिखा रही है बल्कि ‘साइलेंट ऑपरेशन लोटस’ के जरिए सत्ता पर काबिज होना चाहती है. इस प्लान के जरिए एक-एक कर कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों को अपनी पार्टी से इस्तीफा दिलाकर अपना खेमा बढ़ा रही है.

कर्नाटक के मुख्यमंत्री कुमारस्वामी
कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाने की उम्मीद अभी नहीं छोड़ी है. जेडीएस-कांग्रेस की गठबंधन सरकार को बेदखल करने के लिए बीजेपी इस बार कोई जल्दबाजी नहीं दिखा रही है. बल्कि ‘साइलेंट ऑपरेशन लोटस’ के जरिए सत्ता पर काबिज होने के प्लान पर आगे बढ़ती दिख रही है. इस प्लान के जरिए एक-एक कर कांग्रेस-जेडीएस के विधायक अपनी पार्टी से इस्तीफा देते जा रहे हैं और धीरे-धीरे बीजेपी का खेमा मजबूत होता जा रहा है.
कर्नाटक के विजयनगर के कांग्रेस विधायक आनंद सिंह ने सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार को इस्तीफा दे दिया. इसी के कुछ ही देर के बाद कांग्रेस के दूसरे विधायक रमेश जरकिहोली ने भी बगावती रुख अख्तियार करते हुए इस्तीफा फैक्स से भेज दिया. इन दोनों विधायकों से पहले कांग्रेस अपने विधायक रोशन बेग को पार्टी से निलंबित कर चुकी है. बेग इन दिनों बीजेपी और मोदी की तारीफ करने में जुटे हैं. इस तरह से कांग्रेस के विधायकों की संख्या लगातार घट रही है.
हालांकि कांग्रेस का दावा है कि आनंद सिंह और रमेश जरकिहोली ने विधायक पद से अभी इस्तीफा नहीं दिया है और न ही वो बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं. कांग्रेस-जेडीएस अपना खेमा बचाने की कवायद में लगातार जुटी हुई है. जबकि, इससे पहले रमेश जरकिहोली ने खुद ही इस्तीफे की बात एक टीवी चैनल के सामने स्वीकारा था. इस दौरान कुछ अन्य विधायकों के इस्तीफा दिए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा था कि अपनी योजना के बारे में बता नहीं सकते. अभी इंतजार कीजिए, सभी चीजें स्पष्ट हो जाएंगी.
‘साइलेंट ऑपरेशन लोटस’ के जरिए बीजेपी का मकसद कर्नाटक की सत्ता पर काबिज होने का है. इसके लिए कांग्रेस और जेडीएस विधायकों को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिलवाना है. सूत्रों की मानें तो इस रणनीति के तहत अगले कुछ दिनों में कांग्रेस-जेडीएस के हर रोज एक या दो विधायक अपने पद से इस्तीफा देंगे ताकि कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार के विधायकों की संख्या घटकर अल्पमत में आ जाए.
बता दें कि कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों की संख्या लगातार घट रही है. कर्नाटक में कुल 224 विधानसभा सीटें हैं, बहुमत के लिए 113 विधायक चाहिए. फिलहाल बीजेपी के 105 विधायक हैं. जबकि कांग्रेस के पास 80 और जेडीएस के पास 37 विधायक हैं. इस तरह से दोनों के पास कुल 117 विधायक हैं. बीएसपी और निर्दलीय विधायक भी गठबंधन का समर्थन कर रहे हैं.
हालांकि पिछले दिनों कांग्रेस के दो विधायकों के इस्तीफा देने और एक विधायक को निष्कासित किए जाने के बाद कांग्रेस के विधायकों की संख्या 77 रह गई है. कांग्रेस-जेडीएस की संख्या 114 रह गई है. वहीं, बीजेपी दावा कर रही है कि कांग्रेस के 6 और जेडीएस के 2 विधायकों का गुप्त रूप से समर्थन मिला हुआ है, जो जल्द ही इस्तीफा देंगे.
बीजेपी प्रदेश में सरकार बनाने की उम्मीद लगाए बैठी है और लगातार इसके लिए दावे भी कर रही है. जेडीएस-कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफे से कुमारस्वामी की मुश्किलें बढ़ रही हैं, लेकिन बीजेपी अभी सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है. यही वजह है कि बीजेपी साइलेंट ऑपरेशन लोटस चला रही है, ताकि ऐसी स्थिति बने जब कुमारस्वामी बहुमत से नीचे आ जाएं और बीजेपी अपनी सरकार बनाने का दावा पेश करे.
गौरतलब है कि ऑपरेशन लोटस के जरिए बीजेपी 2008 में भी कर्नाटक में सरकार बनाने में सफल रही थी. उस समय बीजेपी 224 में से 110 सीटें जीतकर आई थी. ऐसे में बहुमत के आंकड़े को छूने के लिए बीजेपी ने ऑपरेशन लोटस का इस्तेमाल किया था. कांग्रेस और जेडीएस के आठ विधायकों ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद इन सभी 8 नेताओं को बीजेपी ने अपने चुनाव चिन्ह पर विधानसभा उपचुनाव लड़ाया था, जिसमें से पांच बीजेपी से जीतकर आए और तीन हार गए थे. इस तरह से बीजेपी ने बहुमत का जादुई आंकड़ा पार कर लिया था.इस बार भी अगर बीजेपी की रणनीति सफल रहती है तो कुमारस्वामी की अगुवाई वाली कांग्रेस-जेडीएस सरकार के लिए आने वाले दिन मुश्किलों वाले साबित हो सकते हैं.