
नई दिल्ली : ई-सिगरेट यानी इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलीवरी सिस्टम (एंडस) का सबसे आम रूप है। ई-सिगरेट बैटरी से चलाया जाता हैं, जो शरीर में निकोटिन पहुंचाने के लिए इलेक्ट्रिसिटी का इस्तमाल करते हैं। ये ऐसे उपकरण हैं जिसमें तंबाकू के पत्तों को जलाया नहीं जाता, बल्कि ई-सिगरेट के निचले भाग में एक एलईडी बल्ब लगाते है।
जब कोई व्यक्ति फूक लगाता है तो यह एलईडी बल्ब बैटरी की मदद से जलता है। सबसे खास बात यह है कि ई-सिगरेट में निकोटीन लिक्विड आम सिगरेट की तरह जलकर धुआं नहीं छोड़ता बल्कि जब एलईडी बल्ब जलता है तो ई-सिगरेट में उपलब्ध निकोटीन लिक्विड गर्म होकर भाप बनाता है, इस तरह ई-सिगरेट इस्तेमाल करने वाला व्यक्ति भाप खींचता है न कि सिगरेट की तरह धुआं करता हैं।
हर चीज के अपने फायदे और नुकसान होते हैं, ऐसे ही ई-सिगरेट के भी नुकसान हैं। आजकल इसका बहुत प्रचलन है, हालांकि इसका लंबे समय तक प्रयोग करना खतरनाक हो सकता है। इससे ब्लड क्लॉट की गंभीर समस्या हो सकती है। ई-सिगरेट में निकोटिन की मात्रा अधिक होने की वजह से लोगों को ब्ल़ड प्रेशर बढ़ने का भी खतरा हो सकता है। इससे फेफड़ों में भी काफी नुकसान होता हैं।