नवरात्रि के पांचवे दिन माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है। नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं।

हिंदू धर्म में नवरात्रियों का विशेष महत्व माना जाता है। नवरात्रि 29 सिंतबर से शुरु हो चुके हैं। आज नवरात्रि का पांचवा दिन है। नवरात्रि के पांचवे दिन माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है। नौ दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं। वैसे तो नवरात्रि साल में चार बार आते है लेकिन चैत्र नवरात्रि और शारीदय नवरात्रि का खास महत्व माना जाता है।
स्कंदमाता के नाम का मतलब है स्कंद अर्थात भगवान कार्तिकेय की माता। स्कंदमाता को वात्सल्य की देवी भी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार कहा जाता है कि मां स्कंदमाता अपने भक्तों को संतान का आशीर्वाद देती है।

स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान होकर अपनी चार भुजाओं में से एक में भगवान स्कन्द को गोद लिए हैं और दूसरी व चौथी में कमल का फूल, तीसरी भुजा से आशीर्वाद दे रही है। स्कंदमाता को इनके पुत्र के नाम से भी जाना जाता है।
नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता को केले का भोग लगाना चाहिए। माना जाता है कि नवरात्रि के दिनों में जो भी सच्चे मन से पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।