गोपालदास का कहना है कि राम मंदिर और निर्मोही अखाड़ा जैसे अन्य लोग कार्य को पूरा करने के लिए इसमें शामिल हो सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल को राम मंदिर के निर्माण के लिए केंद्र द्वारा गठित एक ट्रस्ट को हस्तांतरित करने का आदेश दिया है. हालांकि ट्रस्ट निर्माण को लेकर बहसबाजी भी शुरू हो गई है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार 1990 के दशक में अयोध्या मंदिर आंदोलन के एक प्रमुख राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास का कहना है कि नया ट्रस्ट बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि न्यास निर्माण के लिए एक ट्रस्ट का गठन किया गया है.
गोपालदास का कहना है कि राम मंदिर और निर्मोही अखाड़ा जैसे अन्य लोग कार्य को पूरा करने के लिए इसमें शामिल हो सकते हैं. लेकिन निर्मोही अखाड़े के महंत दीनेंद्र दास ने इससे असहमति जताई है. उन्होंने उनका कहना है कि “हम उनके खिलाफ यानी राम जन्मभूमि न्यास के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं ऐसे में उनके ट्रस्ट का सदस्य बनने की उम्मीद हम कैसे कर सकते हैं? वे अपने ट्रस्ट को सरेंडर कर सकते हैं और हमारे साथ ट्रस्ट का हिस्सा बन सकते हैं.
उन्होंने कहा हम निर्मोही हैं और उनका हिस्सा नहीं बन सकते. यह सरकार की जिम्मेदारी है कि समाधान खोजने और सभी को एक साथ लाएं.” अयोध्या टाइटल सूट केस में सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े के प्रबंधन के अधिकार के दावे को खारिज कर दिया. लेकिन खंडपीठ ने विवादित स्थल पर निर्मोही अखाड़ा की ऐतिहासिक उपस्थिति और उनकी भूमिका पर ध्यान देते हुए केंद्र को निर्देश दिया कि ट्रस्ट बनाने के लिए एक योजना तैयार करते हुए, अखाड़े को प्रबंधन में एक उचित भूमिका सौंपे.