अक्सर सभी लोगों को गायत्री मंत्र जपते हुए देखा गया है. चाहे वे किसी भी उम्र के क्यों न हो.

छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक के लोग मां गायत्री का मंत्र जपते हैं. हिंदू धर्म शास्त्रों में गायत्री मंत्र के जाप को जीवन के लिए आवश्यक बताया गया है. हिंदू धर्म में चार वेद हैं जिनका नाम है- ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद. इन सबमें ही वेदमाता गायत्री और गायत्री मंत्र के जप का उल्लेख मिलता है. आइए जानते हैं गायत्री मंत्र का महत्व…
मंत्र जाप से नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, अगर आप पूरे दिन में तीन बार भी गायत्री मंत्र का जाप करते हैं तो आपके जीवन में सकारात्मकता आएगी और नकारात्मकता दूर हो जाएगी. यह भी माना जाता है कि मां गायत्री भक्तों के दुखों को हरने वाली हैं. आइए जानते हैं गायत्री मंत्र का अर्थ और क्या है इसे करने का सही तरीका…
जानिए गायत्री मंत्र का अर्थ
ॐ – ईश्वर , भू: – प्राणस्वरूप , भुव: – दु:खनाशक, स्व: – सुख स्वरूप, तत् – उस , सवितु: – तेजस्वी, वरेण्यं – श्रेष्ठ, भर्ग: – पापनाशक, देवस्य – दिव्य, धीमहि – धारण करे, धियो – बुद्धि ,यो – जो, न: – हमारी , प्रचोदयात् – प्रेरित करे. इसे अगर जोड़कर देखा जाए तो इसका अर्थ होगा- ‘उस, प्राणस्वरूप, दुखनाशक, सुख स्वरुप, तेजस्वी, श्रेष्ठ, पापनाशक, दिव्य परमात्मा (ईश्वर) को हम अपनी अंतरात्मा में धारण करें. जो हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे.
सीखिए गायत्री मंत्र जप करने का तरीका
1.गायत्री मंत्र सही विधि जानकर ही जप करना चाहिए. गायत्री मंत्र का जाप करते समय रीढ़ की हड्डी सीधी करके कुश के आसन के आसन पर पालथी मारकर बैठने की मुद्रा में जाप करना चाहिए.
- बिना नहाये हुए गायत्री मंत्रों का जाप नहीं करना चाहिए. बता दें कि जाप करने से पहले शरीर की शुद्धि कर लेनी चाहिए. इसके लिए सुबह नहाने धोने के बाद ही जाप करना चाहिए.
- शास्त्रों के अनुसार, अगर गायत्री मंत्रों के शब्दों में ज़रा भी अशुद्धि हुई तो वो आपको ऊपर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं. मंत्रों का जप करते समय उच्चारण का काफी महत्व होता है. इसलिए आहिस्ता आहिस्ता मंत्र का जाप करना चाहिए.
4. अगर आप गायत्री मंत्रों को 108 बार जप करना चाहते हैं तो आप तुलसी के 108 मानकों की माला से भी गायत्री मंत्र का जाप कर सकते हैं.